महज 115 दिन की ही रही ‘तीरथ सीएम’ यात्रा, आप भी जानिए छोटे से कार्यकाल के क्या रहे बड़े फैसले
देहरादून : महज 115 दिनों के कार्यकाल पूरा करने वाले तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार देर रात 11 बजकर 16 मिनट पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया। आखिर इस छोटे से समय मे सीएम तीरथ रावत ने कौन कौन से महत्वपूर्ण फैसले लिए है। अगर हम उत्तराखंड के सियासी इतिहास पर गौर करे तो उत्तराखंड में नेतृत्व परिवर्तन का इतिहास पुराना रहा है।
चाहे कांग्रेस हो या फिर बीजेपी दोनों ही दलों की सरकार ने बीच कार्यकाल में ही सीएम बदलने से कोई गुरेज नहीं किया। हालांकि 2017 में जब प्रदेश में पहली बार पूर्ण बहुमत वाली बीजेपी सरकार बनी तो लगा कि अगला मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल जरूर पूरा करेगा।
गौरतलब है कि साल 2017 में त्रिवेंद्र की ताजपोशी कर बीजेपी ने सबको चौंका दिया, जिसके बाद से ही नेतृत्व परिवर्तन की अटकलें लगाए जाने की शुरुआत हुई, जो 4 साल बाद सही साबित भी हुई। 9 मार्च 2021 को त्रिवेंद्र को सीएम पद से बेदखल कर दिया गया। उसके बाद सीएम के कई संभावित चेहरे को मुख्यमंत्री बनाए जाने को लेकर मीडिया और राजनीतिक जानकारों ने कयास लगाए जाने का सिलसिला शुरू हुआ, जो गलत साबित हुए।
पार्टी ने सतपाल महाराज, रमेश पोखरियाल निशंक, धन सिंह रावत, पुष्कर सिंह धामी जैसे कई चेहरे को दरकिनार करते हुए तीरथ सिंह रावत को अगला सीएम चुना।10 मार्च को तीरथ की ताजपोशी की गई, जिसके बाद लगा कि अब अगला चुनाव तीरथ के नाम पर ही लड़ा जाएगा, लेकिन ऐसा नही हो पाया और नतीजा बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व नें तीरथ का भी सीएम पद से रुकसत कर दिया। इसके साथ ही प्रदेश में अगला सीएम कौन होगा, इसको लेकर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं। गौरतलब है कि 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टी सीएम पद के लिए किसका चुनाव करती है, ये देखने वाली होगी। इन तमाम कयासों के बीच शनिवार 3 जुलाई को देहरादून स्थिति भाजपा कार्यालय में विधान दल की बैठक होनी है, जिसमें प्रदेश के नए सीएम के नाम की घोषणा होनी है.
भले ही सीएम रहते तीरथ के विवादित बोल ने देशभर में तमाम सुर्खियां बटोरी और पार्टी की फजीहत भी कराई, लेकिन इन सबके बीच तीरथ रावत ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए है।
तीरथ सिंह रावत के बड़े फैसले
मुख्यमंत्री बनते ही तीरथ सिंह रावत ने महाकुंभ को लेकर बड़ा फैसला लिया था। मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए कहा था कि कुंभ मेला सबके लिए खुला है और इस कुंभ मेले में कोई भी आ सकता है, लेकिन हाईकोर्ट के फैसले के बाद कुंभ मेला में सरकार को सख्त रुख अपनाना पड़ा।
तीरथ सिंह रावत ने कोविड काल के दौरान दर्ज किए गए करीब 5 हजार मुकदमों को वापस लेने के भी आदेश दिए।
चमोली के घाट क्षेत्र के आंदोनकारियों पर दर्ज मुकदमे न सिर्फ वापस किए गए, बल्कि पूर्व सीएम त्रिवेंद्र रावत जिस सड़क की मांग को नियम विरुद्ध बताते हुए ग्रामीणों पर लाठीचार्ज तक करवा चुके थे, उस सड़क को तीरथ सरकार ने डेढ़ लेन में कन्वर्ट करने के आदेश जारी करने में जरा भी देर नहीं लगाई।
ग्रामीण क्षेत्रों में गले की फांस बन चुके जिला विकास प्राधिकरण को भी तीरथ सिंह रावत ने तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया. हालांकि, जिला विकास प्राधिकरण मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान बनाए गए थे।
तीरथ सिंह रावत ने मुख्यमंत्री बनते ही कर्मकार कल्याण बोर्ड को एक बार फिर श्रम मंत्री के अधीन कर दिया. कर्मकार कल्याण बोर्ड से हटाए गए कर्मचारियों को उनकी हटाने के दिन से ही वापस तैनात कर दिया गया.
4 मार्च 2021 को बजट सत्र के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गैरसैंण को नई कमिश्नरी बनाने की घोषणा की थी. जिस पर विरोध शुरू हो गया था. लिहाजा, मुख्यमंत्री बनने के बाद ही तीरथ सिंह रावत ने इस घोषणा को वापस ले लिया.
उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड को लेकर चल रहे विवाद को देखते हुए मुख्यमंत्री बनने के बाद तीरथ सिंह रावत ने इस बोर्ड में शामिल चारधाम समेत 51 मंदिरों को मुक्त कर दिया. इसके साथ ही इस बोर्ड को लेकर पुनर्विचार करने की बात कह तीरथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए ग्राम पंचायतों को पंचायत भवन देने का निर्णय लिया और इसके लिए तीन साल का समय भी निर्धारित किया