मोदी मन्त्रिमण्डल में राज्य मंत्री बने अजय भट्ट,आप भी जानिए उनका सियासी सफर
दिल्ली से आज की सबसे बड़ी खबर उत्तराखंड के उधम सिंह नगर नैनीताल लोकसभा सीट से सांसद अजय भट्ट ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कर ली है। अजय भट्ट केंद्रीय राज्य मंत्री के पद और गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिलाई है।
अजय भट्ट उत्तराखंड में नेता प्रतिपक्ष और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में भी कर चुके हैं काम। प्रदेश के मंत्री के रूप में भी अजय भट्ट कर चुके हैं। अजय भट्ट पेशे से वकील हैं। गौरतलब है कि साल 2017 का विधानसभा चुनाव पार्टी ने अजय भट्ट के नेतृत्व में ही लड़ा था।
नैनीताल से सांसद अजय भट्ट, केंद्र में नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में जगह पाने में सफल हुए हैं। दरअसल साल 2014 के बाद उत्तराखंड से जो सांसद नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में रहे हैं उनमें अजय टम्टा, रमेश पोखरियाल निशंक के बाद अजय भट्ट तीसरे सांसद हैं।
25 साल के अपने राजनीतिक जीवन में अजय भट्ट के लिए ये दूसरा मौका है जब वो मंत्री बन पाए हैं। उत्तराखंड जब उत्तर प्रदेश का हिस्सा था तब 1996 में अजय भट्ट पहली बार रानीखेत से विधायक चुनकर उत्तर प्रदेश की विधानसभा में पहुंचे। साल 2000 में उत्तराखंड, यूपी से अलग हो गया और नए राज्य में तब जो कार्यवाहक सरकार बनी उसमें अजय भट्ट स्वास्थ्य राज्य मंत्री बनाए गए। 2002 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा हार गई और चुनाव जीत कर भी अजय भट्ट को विपक्ष में बैठना पड़ा। तब से अब करीब 19 साल बाद अजय भट्ट के लिए मौका आया है जब वो दोबारा मंत्री बन पाए हैं।
कई बार छूटी सत्ता पारी
अल्मोड़ा जिले के रानीखेत में वकालत करने वाले अजय भट्ट की उम्र 60 साल है। पहले जनसंघ और बाद में भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहे भट्ट के लिए राजनीतिक जीवन बहुत उतार-चढ़ाव भरा रहा। दिलचस्प पहलू तो ये है कि उत्तराखंड के 20 साल के सफर में प्रदेश में जब भी भाजपा की सरकार आई, उसी साल अजय भट्ट अपना विधानसभा चुनाव हार गए। नतीजा अजय भट्ट को मौका नही मिल पाया। साल 2007 में राज्य में बीजेपी की सरकार बनी लेकिन अजय भट्ट चुनाव हार गए। साल 2012 में चुनाव जीते लेकिन तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बन गई। उस समय बीजेपी के अध्यक्ष रहे अजय भट्ट ने पार्टी के लिए काफी मेहनत की। साल 2017 में कांग्रेस सरकार के खिलाफ जो माहौल बना उसका फायदा बीजेपी को बंपर जीत के रूप में मिला।
राजनीतिक गुरु की सीट से बने सांसद
दरअसल अजय भट्ट के सियासी सफर में बीजेपी के दिग्गज नेता भगत सिंह कोश्यारी ने बड़ा रोल प्ले किया है। कोश्यारी और भट्ट दोनों ही अल्मोड़ा-पिथौरागढ़ संसदीय क्षेत्र में सक्रिय रहे लेकिन जब सीट रिजर्व हो गई तब कोश्यारी ने नैनीताल की ओर रुख किया. 2014 में भगत सिंह कोश्यारी नैनीताल से सांसद बने लेकिन 2019 के चुनाव में उन्होंने अपने आप को सक्रिय राजनीति से अलग कर लिया. इस बार नैनीताल से टिकट मिला शिष्य अजय भट्ट को और वो बंपर वोटों से चुनाव जीते.
क्या भाजपा को मिलेगा इसका फायदा
सांसद अजय भट्ट के लोकसभा क्षेत्र में 2 जिले आते हैं नैनीताल और उधम सिंह नगर। नैनीताल जिले में भाजपा की स्थिति अमूमन ठीक-ठाक मानी जाती है। लेकिन उधम सिंह नगर जिला जहां 9 विधानसभा सीटें हैं और 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां एक अच्छी बढ़त मिली थी। इस जिले में किसान आंदोलन के बाद बीजेपी की बहुत ज्यादा बेहतर नही कहे जा सकते है। जिसकी मुख्य वजह है जिले में सिख वोटरस की अच्छी खासी तादा का होना। ऐसा लगता है कि भट्ट के बहाने बीजेपी ने एक तीर से दो निशाने साधे हैं. भट्ट कुमाऊं के ब्राह्मण हैं जहां दिग्गज कांग्रेसी हरीश रावत का प्रभाव माना जाता है. माना जा रहा है कि भट्ट के बहाने, हरीश रावत को घेरने की कोशिश होगी। उधम सिंह नगर जिले से नए मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी आते हैं। भाजपा चाहेगी उधम सिंह नगर को भारी-भरकम बनाकर कहीं ना कहीं नाराज सिख वोटरों को अपने पाले में दोबारा लाएं ताकि उत्तराखंड में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा अपनी स्थिति और भी मजबूत कर सके।