उत्तराखण्ड

14 मई को अक्षय तृतीया पर खुलेंगे विश्व प्रसिद्ध मां यमुनोत्री धाम के कपाट

खरसाली (उत्तरकाशी) : इस यात्रा वर्ष में मां यमुना जी मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया शुक्रवार 14 मई अभिजीत मुहुर्त में 12 बजकर 15 मिनट पर खुलेंगें। आज यमुना जयंती के शुभ अवसर पर मां यमुना जी के शीतकालीन गद्दी स्थल खरशाली में यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने का शुभ मुहूर्त तय हो गया है।

इस अवसर पर मंदिर समिति अध्यक्ष एसडीएम बड़कोट चतर सिंह चौहान,मंदिर समिति सचिव कृतेश्वर उनियाल और यमुनोत्री धाम के मुख्य पुजारी संदीप शास्त्री
सहित तमाम तीर्थ पुरोहित मौजूद रहे। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट 18 मई सुबह सवा चार बजे,केदारनाथ धाम के 17 मई सुबह 5 बजे और गंगोत्री धाम के कपाट 15 मई सुबह 7:31 मिनट पर खुल रहे है।

आपको बता दे कि यमुना छठ और यमुना जन्म दिवस के अवसर पर यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने की तिथि,शुभ मुहूर्त तय हो गया हैं। 14 मई को देश विदेश के आम श्रदालुओ के लिए माँ यमुना मन्दिर के कपाट अक्षय तृतीया पर्व पर खोल दिये जायेंगे।

गौरतलब है कि श्री यमुनोत्री मन्दिर समिति के पदाधिकारियों और यमुनोत्री धाम के मुख्य पुजारी संदीप शास्त्री ने जानकारी देते हुए बताया कि यमुना जन्म दिवस पर 14 मई को प्रातः 9:15 बजे यमुना जी की डोली अपने शीतकालीन प्रवास खरशाली से यमुनोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी,और 12:15 पर कर्क लग्न अभिजीत मुहूर्त में यमुनोत्री धाम के कपाट ग्रीष्म काल के लिए खोल दिए जाएंगे,इस अवसर पर मां यमुना के शीतकालीन मंदिर में,मंदिर समिति उपाध्यक्ष जगमोहन उनियाल, यमुनोत्री धाम के मुख्य पुजारी संदीप शास्त्री,कृतेश्वर उनियाल,पुरुषोत्तम उनियाल,पवन प्रकाश उनियाल,गजेंद्र उनियाल,पंडित रामनारायण उनियाल,विनोद उनियाल,प्रवक्ता बागेश्वर उनियाल,शीत कालीन पुरोहित प्रमेश उनियाल,अंकित उनियाल आदि मौजूद थे।

यमुनोत्री धाम के मुख्य पुजारी संदीप शास्त्री ने बताया कि यमुना छठ पर यमुना जी की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यमुना छठ हिंदुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। साथ ही उन्होंने बताया कि यमुना छठ के दिन यमुना की पवित्र धारा में स्नान कर सफेद वस्त्र धारण करके मां यमुना जी की पवित्र धारा में फूल अर्पित करने के बाद दीपक प्रज्वलित कर पूजा आरती और जप करने से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

गौरतलब है कि यमुना जयंती यमुना छठ के रूप में भी विश्व विख्यात है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक सूर्य की पत्नी छाया की पुत्री यमुना और उनके पुत्र थे वह दोनों श्याम वर्ण के थे और अपनी बहन यमुना से बहुत स्नेह करते थे इस लिए यमराज ने यमुना को यह आशीर्वाद दिया कि यमुना जी की पवित्र जल धारा में स्नान करने मात्र से मां यमुना भक्त यमलोक के कष्टों से मुक्त हो जाते है। शायद यही वजह है कि यमुना में स्नान करने को बहुत पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही ऐसी भी धार्मिक मान्यता है कि जब श्री कृष्ण ने लक्ष्मी जी को राधा का रूप लेकर आने के लिए कहा तो वो यहां पर यमुना जी ने को भी अपने साथ में ले आई इसलिए द्वापर युग में यमुना धरती पर नदी के रूप में अवतरित हुई। इस लिए ही बृज में यमुना जी को न सिर्फ मां के रूप में माना जाता है बल्कि द्वापर युग से ही मा यमुना जी पूजा आराधना करने की परम्परा आज भी संचालित हो रही है। यही नही यमुना षष्ठी पर तो मां यमुना देवभूमि उत्तराखंड के यमुनोत्री धाम से बृज तक विशेष पूजा अर्चना जाती है।

गौरतलब है कि चैत्र मास शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि को श्री यमुना जयंती उत्सव का कार्यक्रम आयोजन किया जा रहा है जिसमें 1008 दीपदान और चुनरी मनोरथ साड़ी सिंगार मां यमुना जी को उड़ाई जाती है सुबह से मां यमुना के मंदिर में पूजा अर्चना का दौरा चलता रहता है तीर्थ पुरोहित और ग्रामीणों में बहुत उत्साह होता है मां यमुना जी के उत्सव यात्रा निकालकर मां यमुना से देश की खुशहाली और संपन्नता की कामना करते हैं साथ में मां यमुना जी के प्रतीक चिन्हों को जलाअभिषेक कराया जाता है और आज के दिन गांव के पुरुष महिलाएं बच्चे बुजुर्ग द्वारा लोक नृत्य और पांडव नृत्य भी किया जाता है और मां यमुना जी के दर्शन करने मात्रा से ही सभी श्रद्धालुओं के पाप जो नष्ट हो जाते है।

माँ यमुना जी स्वच्छ निर्मल पवित्र बने हम सब मिलकर ऐसा संकल्प करें ,माँ यमुना जी की कृपा आप सभी भक्तों और आपके घर परिवार में सदैव बनी रहे। आप सभी के समस्त मनोरथ पूर्ण हों। यमुनोत्री धाम के मुख्य पुजारी हिमालय योगी, संदीप शास्त्री ने माँ यमुना जी के चरणों में राज्य और पूरे देश को कोरोना की वैश्विक महामारी से मुक्त होने के साथ ही सभी प्रदेशवासियों के उत्तम स्वस्थ और सबका जीवन खुशहाल होने की प्रार्थना की है।

 

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