द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट आज शीतकाल के लिए हुए बंद
उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2021
आज सोमवार 22 नवंबर को द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल के लिए हुए बंद
भगवान मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली ने गौंडार किया प्रस्थान
23 नवंबर को रांसी,24 नवंबर को गिरिया पहुंचेगी उत्सव डोली
25 नवंबर को श्री मद्महेश्वर जी की उत्सल डोली पंचकेदार गद्दी स्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर
पहुंचेगी उखीमठ25 को पारंपरिक श्री मद्महेश्वर मेला होगा आयोजित
उखीमठ / रूद्रप्रयाग : पंच केदारों में से विख्यात द्वितीय केदार भगवान श्री मद्महेश्वर जी के कपाट शीतकाल हेतु आज सोमवार 22 नवंबर को प्रात: आठ बजे वृश्चिक लग्न में बंद हो हो गये। पुजारी शिव लिंग चपटा ने पूजा- अर्चना के बाद भगवान के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप देकर कपाट बंद किये।
वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी राजकुमार नौटियाल ने बताया कि इस अवसर पर श्री मद्महेश्वर डोली यात्रा प्रभारी पारेश्वर त्रिवेदी, समालिया मृत्यंजय हीरेमठ सहित गौडार ग्राम के श्रद्धालु, तहसील प्रशासन,वनविभाग के कर्मचारी मौजूद रहे। श्री मद्महेश्वर जी की उत्सव डोली के स्वागत के लिए देवस्थानम बोर्ड के अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी बी.डी.सिंह, पुजारीगण,देवानंद गैरोला आर सी तिवारी, यदुवीर पुष्पवान,प्रेम सिंह रावत सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु गण पहुंच रहे हैं।
देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि कपाट बंद होने के पश्चात भगवान मद्महेश्वर जी की चलविग्रह डोली आज 22 नवंबर को गौंडार, 23 नवंबर को रांसी,24 नवंबर को गिरिया प्रवास करेगी।
25 नवंबर को चल विग्रह डोली श्री ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ पहुंचेगी और परंपरागत मद्महेश्वर मेला आयोजित होता है। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित महत्त्वपूर्ण लोगों के पहुंचने का संभावित कार्यक्रम भी है। कपाट बंद होने के कार्यक्रम में सामाजिक दूरी सहित कोरोना बचाव मानकों का पालन किया गया इस यात्रा वर्ष 5 नवंबर को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी श्री केदारनाथ धाम दर्शन को पहुंचे 6 नवंबर को श्री केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद हुए।
प्रदेश के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल अवकाश प्राप्त गुरूमीत सिंह,मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी,प्रधानमंत्री जी के सलाहकार भाष्कर खुल्बे, प्रसिद्ध गायिका अनुराधा पौडवाल सहित देश-विदेश की महत्त्वपूर्ण हस्तियां चारधाम दर्शन को पहुंची।