उत्तराखंड

कुशल रणनीति के कारण ही दिव्य और भव्य महाकुम्भ का आयोजन हुआ सफल

देवभूमि के श्रृंगार देव् आयोजन कुम्भ का सकुशल समापन हो चुका है। बेहतरीन नेतृत्व, कुशल रणनीति जवानों का कुम्भ सम्बंधित प्रशिक्षण, कर्तव्यों के प्रति पूर्ण समर्पण और साधु संतों का आशीर्वाद इस विराट आयोजन को भव्य एवं सुरक्षित बनाने में अभूतपूर्व रहा।

कुम्भ को सुरक्षित और सफल बनाने की दिशा में किये जाने वाले प्रयासों में सर्वप्रथम आने वाले श्रद्धालुओं की 72 घण्टे पुरानी RTPCR रिपोर्ट को प्रदेश की सीमाओं पर चेक किया गया साथ जो श्रद्धालुओं बिना RTPCR टेस्ट रिपोर्ट के बोर्डरों पर पहुंचे थे उनका जनपद की सीमा में प्रवेश से पूर्व RTPCR/रैपिड एंटीजन टेस्ट कराए गए।

यह कार्य जनपद हरिद्वार की सभी 11 सीमाओं पर कुम्भ मेला अधिसूचना जारी होने के साथ ही प्रारंभ कर दिया गया। सभी बोर्डरों पर की गई टेस्टिंग के दौरान 02 लाख 45 हजार लोगों के कोविड टेस्ट किये गए,जिनमे से कुल 920 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए। पॉजिटिव पाए श्रद्धालुओं को तत्काल ही आइसोलेशन में रखा गया। इसके अलावा जिन लोगों ने बोर्डरों पर अपना कोविड टेस्ट कराने कि *सहमति नही दी ऐसे 69,259 श्रद्धालुओं और उनके 12,972 वाहनों को भी हरिद्वार क्षेत्र में प्रवेश नही दिया गया।

जनपद हरिद्वार में जनवरी 01, 2021 से अप्रैल 30, 2021 तक की अवधि में किये गए RTPCR/रेपिड एंटीजन टेस्टों की संख्या 08 लाख 91 हजार रही, जिनमे 1954 लोग कोविड पॉजिटिव पाए गए। कोविड टेस्टिंग का यह आंकड़ा उत्तराखंड के अन्य सभी जिलों में सर्वाधिक रहा।

माननीय उच्च न्यायालय उत्तराखंड के द्वारा जारी कोविड सम्बंधित दिशा-निर्देशों के साथ ही केंद्र और राज्य सरकार द्वारा जारी की गई SOP का आने वाले श्रद्धालुओं और हरिद्वार की स्थानीय जनता से कड़ाई से पालन कराया गया। आयोजन को सुरक्षित बनाने में कोविड गाइड लाइन के अनुसार लगातार कड़े रुख अपनाए जाते रहे। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से युक्त आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कैमरों से कुम्भ के कोर एरिया पर लगातार नजर रखी गयी।

जनवरी 01, 2021 से अप्रैल 30, 2021 के मध्य सम्पूर्ण कुम्भ क्षेत्र में 31487 लोगों के चालान कोविड अनुरूप व्यवहार न करने के कारण किये गए, जिसमे 16009 चालान बिना मास्क और 15428 चालान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करने पर किये गए।

एक बेहतरीन रणनीति के तहत की गई पुलिस व्यवस्था ने श्रद्धालुओं की लाखों की भीड़ पर लगातार निगरानी कर अंकुश लगाए रखा, जिससे उनके द्वारा कम से कम कोविड नियमों का उलंघन किया गया। इस समस्त कसरत का प्रत्यक्ष परिणाम यह रहा कि दिव्य कुम्भ आयोजन के पश्चात भी अत्यंत जन-घनत्व लिए कुम्भ नगरी में कोविड संक्रमण के अपेक्षाकृत अत्यंत कम मामले सामने आए।

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