उत्तराखंड

रामदेव विवाद : उत्तराखंड में सरकारी डॉक्टर भी हुए आंदोलन में शामिल, जानिए बाबा से खुली बहस करेगी डॉक्टरों की ये टीम,पूरी ख़बर पढ़ने के लिए क्लिक करें

देहरादून । बाबा रामदेव के एलोपैथी को लेकर दिए गए बयान के बाद अब यह मुद्दा तूल पकड़ता जा रहा है। उत्तराखंड के सरकारी डॉक्टर भी अब इंडियन मेडिकल एसोसिएशनआईएमए के समर्थन में उतर आए हैं। इसी क्रम में बाबा रामदेव की गिरफ्तारी की मांग को लेकर मंगलवार को सभी सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर काला फीता बांधकर काम करेंगे।

प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ पीएमएचएस के प्रदेश महासचिव डॉ मनोज वर्मा ने कहा कि बाबा रामदेव के बयान से डॉक्टरों का मनोबल गिरा है। डॉक्टर कोरोना संक्रमित मरीजों को ठीक करने में दिन रात जुटे हैं। ऐसे में बाबा रामदेव का एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को लेकर दिया गया बयान निंदनीय है।

वहीं, उन्होंने सरकार पर हमला बोलते ह़ुए कहा कि सरकार भी इस मामले में कुछ नहीं कर रही है। इसलिए उन्होंने सभी सरकारी चिकित्सकों से अपील की कि वे भी आईएमए के इस आंदोलन में अपना समर्थन दें।

वहीं, आईएमए के प्रदेश सचिव डा. अजय खन्ना ने बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर मंगलवार को बाबा रामदेव के एलोपैथी को लेकर दिए गए बयान के खिलाफ सभी डॉक्टर काला फीता बांधकर अपना विरोध जताएंगे। आईएमए के साथ ही सभी सरकारी गैर सरकारी मेडिकल कॉलेज,एम्स के जूनियर डॉक्टर भी काला फीता बांधकर काम करेंगे।

उत्तराखंड में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष डा.अरविंद शर्मा ने बताया कि आईएमए ने बाबा रामदेव की खुली बहस की चुनौती को स्वीकार कर उनकी ओर से उठाए गए सवालों पर बहस के लिए डॉक्टरों का एक पैनल गठित कर दिया है।

इसमें डा. बीएस जज, डा. अमित सिंह और डा.महेश कुमार देहरादून, डा. आरके सिंघल हरिद्वार, डा. सीएस जोशी खटीमा व डा. योगराज रुड़की को शामिल किया गया है। साथ ही रामदेव से कहा है कि वह पतंजलि योगपीठ के पंजीकृत आयुर्वेदाचार्यों की टीम गठित कर बहस का समय निर्धारित करें। टीम में वह खुद और उनके सहयोगी बालकृष्ण भी रह सकते हैं। ताकि गतिरोध दूर हो और भ्रम की स्थिति खत्म कर एलोपैथी और आयुर्वेद को लेकर सौहार्द का माहौल बन सके।

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