उत्तराखंड

शानदार : कोरोना महामारी के बावजूद मालामाल हुए कोऑपरेटिव बैंक, 150 करोड़ रुपए से अधिक पुराने एनपीए की वसूली  

देहरादून : देश ही नहीं दुनिया में भले कोरोना महामारी के चलते आर्थिक व्यवस्था चरमराई हो लेकिन उत्तराखण्ड राज्य के जिलों में स्थित कॉपरेटिव बैंक का परफॉर्मेंस बहुत शानदार नजर आता है 31 मार्च से पहले पिछले वर्ष कॉपरेटिव बैंक के समस्त शाखाओं ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय किसान ऋण जीरो प्रतिशत ब्याज पर दिया था। महिला समूह को स्वरोजगार के लिए पांच ₹500000 का ब्याज मुक्त ऋण दिया गया और हर किसान को अधिकतम ₹300000 तक का ऋण इन बैंकों द्वारा दिया गया।

अविभाजित उत्तर प्रदेश के समय से ही कोऑपरेटिव बैंकों का गठन इसी उद्देश्य से किया गया था। यह बैंक किसानों के लिए ही खोले गए थे। पिछले कुछ वर्षों में नजर ढाले तो उत्तराखंड में यह बैंक इस उद्देश्य पर खरे उतर रहे हैं। नाबार्ड भी इन बैंकों की भरपूर मदद कर रहा है।

वर्ष 2020-21 कोविड -19 महामारी काल रहा। फिर भी इन बैंकों ने शुद्ध मुनाफा 60 करोड़ से अधिक कमाया

 आइए एक नजर डालते है कॉपरेटिव बैंकों के शुद्ध लाभ पर

डीसीबी देहरादून 5 करोड़ 47 लाख 78 हज़ार

डीसीबी कोटद्वार गढ़वाल  2 करोड़ 15 लाख 71 हज़ार

डीसीबी चमोली  4 करोड़ 48 लाख 55 हज़ार

डीसीबी उत्तर काशी 4 करोड़ 61 लाख 48 हज़ार

डीसीबी हरिद्वार 2 करोड़ 16 लाख

डीसीबी ऊधम सिंह नगर 7  करोड़ 5 लाख.58 हज़ार

डीसीबी नैनीताल 5 करोड़ 86 लाख 44 हज़ार

डीसीबी टिहरी गढ़वाल  6 करोड़ 54 लाख 97 हज़ार

डीसीबी पिथौरागढ़ 5 करोड़ 36 लाख 87 हज़ार

डीसीबी अल्मोड़ा 3 करोड़ 98 लाख

राज्य सहकारी बैंक हल्द्वानी 13 करोड़ 23 लाख

इस प्रकार बैंकों का इस बार शुद्ध मुनाफा 60 करोड़ 94 लाख  97 हज़ार रुपए रहा। राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया है कि,कोविड 19 काल में बैंकों की मुनाफे में अच्छी परफॉर्मेंस कॉपरेटिव के विकास के प्रतीक है। उन्होंने कहा कोविड के समय में कॉपरेटिव बैंकों ने अच्छा काम किया। जब पैसे की किल्लत हो रही थीं। एटीएम खाली थे तब कॉपरेटिव बैंक चमोली की एटीएम वैन भारत के अंतिम गांव माणा पहुँची और स्थानीय लोगों और सेना के जवानों  को नगदी सुविधाये दी।

एनपीए वसूली को लेकर भी अच्छी खासी प्रगति रही

पुराने एनपीए की 150 करोड़ रुपए से अधिक की रिकवरी की गई। कॉपरेटिव मंत्री डॉ रावत की लगातार समीक्षा बैठको के उपरांत और कड़े फैसले लेने के बाद यह एनपीए वसूली हो पाई। पिछले साल 665 करोड रुपए एनपीए था जो अब 31- 3- 21 को  घटकर मात्र  530 करोड रुपए रह गया है। राज्य सहकारी बैंक का  पिछले वर्ष 9% एनपीए था। जो इस साल घट कर 4.90% रह गया है।रिजर्व बैंक द्वारा अधिकतम 5% की एनपीए लिमिट है। एनपीए 5% से कम रहे,यह रिजर्व बैंक की गाइडलाइंस है। वही बैंक उनकी नज़र में खरा है।

सहकारी बैंको ने 2019 में मुख्यमंत्री ई रिक्शा योजना गरीबों के लिए लाए थे। इसमें करीब 30,000 गरीबों को सवा- सवा लाख का बैंकों द्वारा ई रिक्शा के लिए ऋण दिया गया। लेकिन अचानक कोविड-19 का कॉल आ गया. जिससे वह गरीब चालक, अपना रिक्शा नहीं चला पाये। बैंकों की किस्त नहीं जा पाई। एक किस्म से  कोऑपरेटिव बैंकों ने गरीब ई रिक्शा चालकों की संकट की घड़ी में काम किया। 20 करोड़ रुपये राज्य सहकारी बैंक ने, 10 करोड़ रुपये जिला सहकारी बैंकों ने मुख्यमंत्री ई रिक्शा योजना में ऋण दिया है।

प्रदेश में जिला सहकारी बैंकों पर प्रकाश डालें तो टिहरी गढ़वाल जिला सहकारी बैंक लिमिटेड ने की पहले नम्बर पर सबसे अधिक 27 करोड़ 3 लाख एनपीए वसूलने और प्रदेश में तीसरे नंबर पर लाभ कमाने का रिकॉर्ड है।

राज्य के सहकारिता मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने बताया है कि, प्रदेश के सभी जिला सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंक ने कोविड-19 महामारी  में भी मुनाफा कमा कर और किसानों को ब्याज मुक्त ऋण देकर प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत की है। डॉ रावत ने बताया कि,गत वर्ष बैंकों द्वारा नई नई योजनाये लागू की गई थी जिन्हें इस वर्ष भी चालू रखा जायेगा। और किसानों एवं अल्प आय वर्ग के लिए नई नई योजनाये लाई जा रही है। जिससे किसानों की आय 2022 से पहले दोगुनी हो सके।मंत्री डॉ रावत ने समस्त सहकारी बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों को एवं विभाग के अधिकारियों को उत्कृष्ट कार्य करने पर बधाई दी।

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